बाइबिल : यूहन्ना 20:19~31
शीर्षक : विश्वासियों का पुनरुत्थान
19उसी दिन जो सप्ताह का पहिला दिन था , सन्ध्या के समय जब वहां के द्वार जहां चेले थे , यहूदियों के डर के मारे बन्द थे , तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उन से कहा , तुम्हें शान्ति मिले।
20और यह कहकर उस ने अपना हाथ और अपना पंजर उन को दिखाए : तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए।
21यीशु ने फिर उन से कहा , तुम्हें शान्ति मिले ; जैसे पिता ने मुझे भेजा है , वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूं।
22यह कहकर उस ने उन पर फूंका और उन से कहा , पवित्र आत्मा लो।
23जिन के पाप तुम क्षमा करो वे उन के लिये क्षमा किए गए हैं जिन के तुम रखो , वे रखे गए हैं॥
24परन्तु बारहों में से एक व्यक्ति अर्थात थोमा जो दिदुमुस कहलाता है , जब यीशु आया तो उन के साथ न था।
25जब और चेले उस से कहने लगे कि हम ने प्रभु को देखा है : तब उस ने उन से कहा , जब तक मैं उस के हाथों में कीलों के छेद न देख लूं , और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूं , और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूं , तब तक मैं प्रतीति नहीं करूंगा॥
26आठ दिन के बाद उस के चेले फिर घर के भीतर थे , और थोमा उन के साथ था , और द्वार बन्द थे , तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा , तुम्हें शान्ति मिले।
27तब उस ने थोमा से कहा , अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।
28यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!
29यीशु ने उस से कहा, तू ने तो मुझे देखकर विश्वास किया है , धन्य वे हैं जिन्हों ने बिना देखे विश्वास किया॥
30यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के साम्हने दिखाए , जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए।
31परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं , कि तुम विश्वास करो , कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है : और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ॥